Academics Adminstration
प्रो. नारायणन डी कुरुर संकायाध्यक्ष, शैक्षिक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली फोन.:+91-11-2659 1708(का.), ई-मेल:deanacad[at]admin.iitd.ac.in |
प्रो. एस. चटर्जी सह संकायाध्यक्ष, पाठ्यचर्या भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली फोन.:+91-11-2659 1708(का.) ई-मेल:adcur[at]admin.iitd.ac.in |
प्रो. सी. टी. धन्या सह संकायाध्यक्ष, स्नातकोत्तर अनुसंधान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली फोन.:+91-11-26591708 (का.) ई-मेल:adres[at]admin.iitd.ac.in |
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प्रो. सुबोध वी शर्मा सह संकायाध्यक्ष, अकादमिक आउटरीच और नई पहल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली फोन.:+91-11-2659 ----(का.) ई-मेल:--[at]admin.iitd.ac.in |
एलन वी सीनाटे डिप्टी कुलसचिव (स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसंधान) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली हौज़ खास, नई दिल्ली-110 016, भारत दूरभाषः -91-11-2659 1737 (कार्यालय) ई-मेलः drpgsr@admin.iitd.ac.in |
श्री सुरेश कुमार गौहर सहायक कुलसचिव (स्नातक पूर्व अध्ययन) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली हौज़ खास, नई दिल्ली-110 016, भारत रभाषः - 91-11-2659 1718 (कार्यालय) ई-मेलः arugs@admin.iitd.ac.inbr> |
भा. प्रौ. सं. दिल्ली के बारे में
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (भा.प्रौ.सं. दिल्ली), भारत में विज्ञान, इंजीनियरी एवम् प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण अनुसंधान एवम् विकास के उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में स्थापित तेईस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है।
इसकी स्थापना सन् 1961 में इंजीनियरी महाविद्यालय के रूप में हुई थी। बाद में ‘इन्स्टि़यूट ऑफ टैक्नोलोजी (एमेन्डमेन्ट) ऐक्ट 1963 के अन्तर्गत इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था तथा इसका नया नाम “भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली” रखा गया था। तब इसे मानित विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था जिसमें अपनी शैक्षिक नीतियाँ निर्धारित करने, अपनी परीक्षाएँ स्वयं आयोजित करने तथा अपनी उपाधियाँ प्रदान करने की शक्तियां निहित थीं।
भा.प्रौ.सं. दिल्ली से, इसके प्रारम्भ से इंजीनियरी, भौतिक विज्ञानों, प्रबन्ध और मानविकी एवं समाज विज्ञानों सहित विविध विद्याशाखाओं में 35,000 से अधिक विद्यार्थियों ने डिग्रियां प्राप्त की हैं। इनमें से लगभग 3541 ने विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त की है। बी.टेक. की स्नातक डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 11970 से अधिक हैं। शेष विद्यार्थियों ने इंजीनियरी] विज्ञान एवं व्यवसाय प्रशासन में निष्णात डिग्रियां प्राप्त कीं। ये अल्युमनी आज वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकविदों] व्यवसाय प्रबन्धकों और उद्यमियों के रूप में कार्यरत हैं। अनेक ऐसे अल्युमनी भी हैं जो अपनी मूल विद्याशाखा से निकल गए हैं तथा प्रशासनिक सेवाओं में चले गए हैं अथवा सक्रिय राजनीति में हैं अथवा गैर सरकारी संगठनों में कार्य कर रहे हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने देश के निर्माण में और पूरे विश्व में उद्योगीकरण के लिए महत्वपूर्ण रूप से योगदान किया है।